ऑक्सीकरण और अपचयन से आप क्या समझते हैं उदाहरण दीजिए?

आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि ऑक्सीकरण और अपचयन क्या होता है और अलग-अलग रासायनिक समीकरणों के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन में क्या अंतर है और ऑक्सीकरण तथा अपचयन के बारे में बहुत ही गहराई से आज हम जानेंगे।

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ऑक्सीकरण और अपचयन से आप क्या समझते हैं

रासायनिक विज्ञान के अंदर ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि अनेक जैविक भौतिक एवं महत्वपूर्ण रासायनिक अभिक्रिया है जो कि इनसे संबंधित होती है और ज्यादातर सभी तत्व ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से अभिक्रिया करते हैं इसी कारण अभिक्रियाओं को ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया कहा जाता है यह रासायनिक अभिक्रियाए ऑक्सीकरण तथा अपचायक को भी परिभाषित करती है

ऑक्सीकरण और अपचयन को एक परिभाषा से समझाना बहुत ही कठिन है सभी सिद्धांत और प्रयोगों के आधार पर इनकी अलग-अलग परिभाषाएं हैं जिनको हम बिल्कुल गहराई से पढ़ेंगे।

ऑक्सीजन के संयोग और वियोजन के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में ऑक्सीजन का योग होता है तो उसे ऑक्सीकरण कहते हैं और इसमें ऑक्सीकरण शब्द का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन का संयोग होता है

2Mg + O₂ → 2MgO

S + O₂ → SO₂

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ से ऑक्सीजन निकलता है तो उसको अपचयन कहते हैं जिसको हम निम्न समीकरण में देख सकते हैं।

2KCIO₃ → 2KCI + 3O₂

2MgO → Mg + O

इन दोनों रासायनिक अभिक्रिया में हम यह देखते हैं कि KCIO₃ का KCI में और MgO का Mg में अपचयन होता है

हाइड्रोजन के संयोग और वियोजन के सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन

इस परिभाषा का पहले अधिक उपयोग किया जाता था लेकिन आज भी कार्बनिक रसायन में मुख्य रूप से प्रयोग की जाती है जब किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें पदार्थ में से हाइड्रोजन निकलता हो या फिर हाइड्रोजन पदार्थ से अलग होता हो उसे ऑक्सीकरण कहते हैं

ऑक्सीकरण का रासायनिक समीकरण

2H₂S + O₂ → 2H₂O + 2S

इस समीकरण में हम यह देखते हैं कि H₂S (हाइड्रोजन सल्फाइड) गैस S (सल्फर) में ऑक्सीकृत हो जाती है

CH₃CH₂OH (एथेनॉल) → CH₃CHO (एथेनैल) + H₂

इस समीकरण में हम यह देखते हैं कि एथेनॉल में हाइड्रोजन परमाणु की संख्या 6 है लेकिन जो उत्पाद बनता है जोकि एथेनैल है उसमें हाइड्रोजन परमाणु की संख्या चारों होती है इससे हमें यह पता चलता है कि एथेनॉल का एथेनैल में ऑक्सीकरण हो जाता है तथा इसमें से हाइड्रोजन निकल जाती है

अपचयन का रासायनिक समीकरण

अपचयन क्या है उदाहरण देकर समझाइए

जिस किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें हाइड्रोजन का योगदान होता है उसे अपचयन कहते हैं

इन दोनों समीकरण में हम यह देखते हैं कि पहले वाले समीकरण में एथीन का एथेन में और दूसरे वाले समीकरण में क्लोरीन का हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) का अपचयन हो रहा होता है

यह जरूरी नहीं है कि हमेशा अभी क्रियाओं में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही भाग ले। इसी कारण ऑक्सीकरण और अपचयन की परिभाषा को व्यापक रूप दिया गया।

विद्युत धनी तत्वों के संयोग एवं वियोजन के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन 

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें पदार्थ से विद्युत धनी तत्व का निष्कासन होता है तो उसे ऑक्सीकरण कहते हैं।

ऑक्सीकरण का रासायनिक समीकरण

 2KI + CI₂ → 2KCI + I₂

इस समीकरण में हम यह देखते हैं कि पोटेशियम आयोडाइड (KI) का आयोडीन (I₂)में ऑक्सीकरण हो जाता है। इसी प्रकार

H₂S + CI₂ → 2HCI + S

इस समीकरण में भी देखते हैं कि हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S) का सल्फर (S) में ऑक्सीकरण हो जाता है

जिस किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें पदार्थ में विद्युत धनी तत्वों का योग होता है उसे अपचयन कहते हैं जो कि निम्न समीकरण में है।

अपचयन का रासायनिक समीकरण

CI₂ + Mg → MgCI₂

इस रसायनिक अभिक्रिया में हम यह देखते हैं कि क्लोरीन (CI₂) का मैग्निशियम क्लोराइड (MgCI₂) में अपचयन हो जाता है।

विद्युत ऋण तत्वों के संयोजन एवं वियोजन के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन

जिस किसी रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ विद्युत ऋण तत्व से संयोग करता है तो उसे ऑक्सीकरण कहते हैं

Mg + CI₂ → MgCI₂

इस रासायनिक अभिक्रिया में मैग्नीशियम(Mg) का अधिक विद्युत ऋण तत्व क्लोरीन(CI₂) से संयोग होने के कारण ऑक्सीकरण हो जाता है

जिस किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें पदार्थ में से ऋण विद्युती तत्व निकलते है उसे अपचयन कहते हैं

2FeCI₃ + H₂ → 2FeCI₂ + 2HCI

इस समीकरण में हम यह देखते हैं कि FeCI₃ का अधिक ऋण विद्युती तत्व CI के निकलने के कारण FeCI₂ में  अपचयन हो जाता है

इस प्रकार सभी सिद्धांतों से यह निष्कर्ष निकलता है कि जब किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी पदार्थ में ऋण विद्युती तत्व या फिर ऑक्सीजन का योग होता है अथवा धन विद्युत तत्व या हाइड्रोजन का निष्कासन होता है उसे ऑक्सीकरण कहते हैं।

वे रासायनिक अभिक्रिया जिसमे किसी पदार्थ में से धन विद्युती तत्व या फिर हाइड्रोजन का योग होता है और ऋण विद्युतीय तत्व या ऑक्सीजन का निष्कासन होता है उसे अपचयन कहते हैं

ऑक्सीकरण और अपचयन से संबंधित यह अवधारणाएं लंबे समय से चल रही है लेकिन आज के समय में इन सभी अवधारणाओं को विस्तृत कर दिया गया है और ऑक्सीकरण तथा अपचयन के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान के आधार पर इन दोनों की व्याख्या की गई है जो कि निम्न है।

इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन क्या हैं

इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीकरण

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमे पदार्थ के द्वारा आयन, तत्व, परमाणु या फिर इलेक्ट्रॉन(e⁻) का त्याग किया जाता है उसको ऑक्सीकरण कहते हैं

Na → Na⁺ + e⁻

Fe²⁺ → Fe³ + e⁻

2CI⁻ → CI₂ + 2e⁻

इसमें पहले वाली रासायनिक अभिक्रिया में हम यह देखते हैं की सोडियम(Na) इलेक्ट्रॉन(e⁻) को त्याग कर सोडियम(Na⁺) धनायन में और दूसरी वाली रसायनिक अभिक्रिया में फेरस(Fe²⁺) आयन एक और इलेक्ट्रॉन त्याग कर फेरिक(Fe³) आयन में और क्लोराइड(CI) आयन इलेक्ट्रॉन(e⁻) त्याग कर उदासीन परमाणु में आक्सीकृत हो जाते हैं इस प्रकार इन सभी अभिक्रिया को देखने पर यह पता चलता है कि जब भी ऑक्सीकरण की क्रिया होती है तब उदासीन परमाणु धनायन का निर्माण करता है या फिर धनायन आवेश बढ़ता है या ऋणायन पर आवेश में कमी आती है।

इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण सिद्धांत के आधार पर अपचयन

वे रासायनिक अभिक्रिया जिसमें परमाणु, आयन, तत्व या फिर अणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो उसको अपचयन कहते हैं

CI + e⁻ → CI⁻

MnO₄⁻  + e⁻ → MnO₄⁻²

Mg⁺² + 2e⁻ → Mg

इसमें पहली वाली रासायनिक अभिक्रिया में हम देख सकते हैं कि क्लोरीन इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके क्लोराइड आयन में अपचयित हो जाता है इसी प्रकार दूसरी रासायनिक अभिक्रिया में मैगनेट आयन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके परमैग्नेट आयन में अपचयित हो जाता है और तीसरे रासायनिक अभिक्रिया में मैग्नीशियम धनायन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Mg उदासीन परमाणु में अपचयित हो जाता है

रेडॉक्स अभिक्रिया किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए

इन सभी उदाहरणों से हमें यह पता चलता है कि ऑक्सीकरण में इलेक्ट्रॉन का त्याग होता है और इसके विपरीत अपचयन अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन को ग्रहण किया जाता है जिसके कारण जो भी उदासीन परमाणु होते हैं वह ऋणायन बनता है या फिर ऋण आयन पर आवेश बढ़ता है तथा धनायन पर आवेश में कमी होती है

इसी प्रकार सभी रासायनिक अभिक्रियाओं को देखने से यह पता चलता है कि ऑक्सीकरण और अपचयन अर्द्ध अभिक्रियाएं हैं जिसमें एक पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन को त्याग आ जाता है और इसी के विपरीत दूसरी ओर एक पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है और इस प्रकार की अभिक्रियाओं में एक पदार्थ ऑक्सीकृत होता है और दूसरा पदार्थ अपचयित होता है तथा यह अभिक्रियाएं साथ-साथ चलती है और इस प्रकार की अभिक्रियाओं को रेडॉक्स अभिक्रिया  या फिर अपोपचय अभिक्रिया कहते हैं

रेडॉक्स अभिक्रिया का समीकरण

इस अभिक्रिया में हम यह देखते हैं कि Zn का ZnSo₄ में ऑक्सीकरण (Zn → Zn⁺² + 2e⁻ ) होता है और कॉपर सल्फेट(Cu) का अपचयन ( Cu⁺² + 2e⁻ → Cu ) हो जाता है

रेडॉक्स अभिक्रिया के उदाहरण

इस अभिक्रिया में हम यह देखते हैं कि फेरिक ऑक्साइड का आयरन में अपचयन करता है और कार्बन मोनोऑक्साइड का Co₂ में ऑक्सीकरण हो होता है इस अभिक्रिया में हम यह देख सकते हैं कि एक ही अभिक्रिया के अंदर एक पदार्थ का ऑक्सीकरण और दूसरे पदार्थ का अपचयन हो रहा है इसी को ही रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं

इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण सिद्धांत पर आधारित इन सभी अभिक्रियाओं से हमें यह पता चलता है कि जब किसी पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है तो वह इलेक्ट्रॉन त्याग कर अन्य किसी दूसरे पदार्थ को अपचयित करने में मदद करता है इसी को अपचायक कहते हैं

इसी प्रकार जिस पदार्थ का अपचयन होता है वह इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके अन्य दूसरे किसी पदार्थ को ऑक्सीकृत करता है इसी को ऑक्सीकारक कहते हैं

इसको हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि

अपचायक इलेक्ट्रॉन दाता अभिकारक होता है और

ऑक्सीकारक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाला अभिकारक होता है

तो दोस्तों आप समझ गए होंगे कि ऑक्सीकरण और अपचयन क्या है तथा यह किस प्रकार से भिन्न भिन्न है और रेडॉक्स अभिक्रिया क्या है इसके अलावा आपको ऑक्सीकरण और अपचयन से संबंधित जानकारी को बहुत ही गहराई से जान पाए होंगे और यदि आपका ऑक्सीकरण और अपचयन से संबंधित कोई भी सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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