मानव उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं | utsarjan kise kahate hain

आपका Gadri Academy में स्वागत है आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि utsarjan kise kahate hain और मानव उत्सर्जन तंत्र के मुख्य भागों के बारे में भी जानेंगे तथा इसी के साथ मानव उत्सर्जन तंत्र किस प्रकार कार्य करता है और मानव शरीर में मूत्र निर्माण से होता है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

उत्सर्जन तंत्र (utsarjan kise kahate hain)

शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना ही उत्सर्जन कहलाता है तथा शरीर से नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने की व्यवस्था होती है उसे उत्सर्जन तंत्र कहते हैं यह उत्सर्जन तंत्र शरीर में उपस्थित कोशिकाओं द्वारा जो अपशिष्ट उत्पन्न होता है उसको शरीर से बाहर निकलने का कार्य करता है।

सभी प्राणी उपापचयी क्रियो से अपशिष्ट पदार्थ को जैसे कि अमोनिया , यूरिक अम्ल, युरिया और कार्बन डाइऑक्साइड आदि का संचय करते रहते हैं तथा इन सभी अपशिष्ट पदार्थ का शरीर से निष्कासन होना बहुत ही आवश्यक होता है यदि इन अपशिष्ट पदार्थ का (विशेष रूप से नाइट्रोजनी अपशिष्ट) का शरीर से निष्कासन नहीं होता है तो वह शरीर में विष के समान कार्य करता है।

मानव शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन फेफड़ों के जारीय होता है इसी प्रकार नाइट्रोजनी अपशिष्ट के उत्सर्जन के लिए एक विशेष तंत्र होता है जिसे हम उत्सर्जन तंत्र कहते हैं। और नाइट्रोजनी अपशिष्ट तीन प्रकार के होते हैं

नाइट्रोजनी अपशिष्ट के तीन प्रकार कौन से हैं?

1. अमोनिया (ammonia)

अमोनिया के उत्सर्जन कि क्रिया अमोनियोत्सर्ग प्रकिया (Ammonotelism) के द्वारा संपन्न होती है अमोनिया का उत्सर्जन अनेक अस्थिल जीव करते हैं जैसे की मछली ,समुद्री कछुए, जलीय उभयचर तथा जलीय कीट आदि।

अमोनिया का उत्सर्जन करने के लिए बहुत अधिक जल की आवश्यकता होती है इसी कारण जलीय जीव अमोनिया का उत्सर्जन अधिक करते हैं लेकिन मनुष्य अमोनिया का सीधे उत्सर्जन नहीं करता है बल्कि मनुष्य के शरीर में उपस्थित यकृत द्वारा अमोनिया को युरिया में बदल दिया जाता है फिर मनुष्य यूरिया का उत्सर्जन करता है।

2. युरिया (urea)

यूरिया का उत्सर्जन ज्यादातर स्तनधारी जीव करते हैं और इन जीवों को यूरिया उत्सर्जी(Ureotelic) भी कहा जाता है मनुष्य शरीर में उपस्थित कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित अमोनिया को यकृत(Liver) यूरिया में बदल देता है फिर इसका वृक्को द्वारा निष्पादन कर उत्सर्जित कर दिया जाता है और इस वृक्क को सामान्य भाषा में किडनी कहते हैं तथा यूरिया का उत्सर्जन किडनी के माध्यम से ही होता है और यकृत द्वारा बनाए गए यूरिया को किडनी के माध्यम से मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है।

3. यूरिक अम्ल (Uric acid)

यूरिक अम्ल का उत्सर्जन ज्यादातर पक्षियों द्वारा, सांपों द्वारा तथा कीटों द्वारा किया जाता है इन सभी जीवो में अमोनिया को यूरिक अम्ल में परिवर्तित कर यूरिक अम्ल का निर्माण होता है और इस यूरिक अम्ल को बहुत ही काम जल के सात उत्सर्जित किया जा सकता है इसीलिए कीट और पक्षी बहुत ही काम जल वाले गोलिकाओं अथवा गाड़े पेस्ट वाले मल या मूत्र के रूप में यूरिक अम्ल का उत्सर्जित करते हैं।

मानव उत्सर्जन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए

मनुष्य का उत्सर्जन तंत्र शरीर में उपस्थित तरल अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित करके शरीर से बाहर निकलने का कार्य करता है तथा अपशिष्ट पदार्थों को उत्सर्जित करने के लिए कुछ मुख्य अंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानव उत्सर्जन तंत्र के प्रमुख अंग कौन कौन से हैं?

मानव उत्सर्जन तंत्र का सचित्र

मानव उत्सर्जन तंत्र के मुख्य चार अंग है जो कि निम्न है।

  1. दो वृक्क (Kidneys)
  2. मूत्राशय (Bladder)
  3. मूत्र वाहिनीयांँ (Ureters)
  4. मूत्र मार्ग (Urethera)

वृक्क (kidney kise kahate hain)

किडनी मानव उत्सर्जन तंत्र का मुख्य भाग है और kidney ko hindi mein वृक्क kahate hain तथा मनुष्य शरीर में दो वृक्क होते हैं जो कि शरीर से लगभग 75 से 80 प्रतिशत तरल अपशिष्ट को बाहर निकलते है इसी के साथ शरीर में स्रावित समस्त रसों का नियंत्रण करते है

किडनी का चित्र

किडनी की आकृति और रंग राजमा के दाने के जैसी और उसी के प्रकार गहरी भुरे रंग की होती है और यह दो किडनीयां मनुष्य के शरीर में आमाशय के पीछे की ओर पीठ की तरफ दाई तरफ व बाईं तरफ होती है। तथा किडनी के मध्य सतह पर एक रवांच होता है जिसे हाइलम कहते हैं तथा इसी हाइलम से होकर रक्त  वाहिनियांँ, तंत्रिकाएं और मूत्र नलिका वृक्क में प्रवेश करती है और हाइलम के भीतरी भाग में कप के आकार की वृक्कीय श्रेणी (Pelvis) पाई जाती है इसमें प्रत्येक वृक्क के दो भाग होते हैं जिनमें से एक बाहरी वल्कुट (Cortex) होता है तथा दूसरा भीतरी मध्यांश(Medula) होता है।

नेफ्रॉन की संरचना (nephron in hindi)

मनुष्य का प्रत्येक वृक्क कहीं लाखों उत्सर्जन इकाइयों से मिलकर बना होता है जिसे नेफ्रॉन (वक्काणु) कहते हैं

मनुष्य के प्रत्येक नेफ्रॉन को दो भागों में बांटा गया है जो कि निम्न है

1. ब्रोमेन संपुट (Bowman’s Capsule)

ब्रोमेन संपुट नेफ्रॉन के ऊपरी भाग में होता है जिसकी संरचना कप जैसी होती है तथा ब्रोमेन संपुट मैं शाखा अभिवाही धमनियों की कोशिकाओं का एक गुच्छा होता है और इस गुच्छे को ग्लोमेरूलस (Glomerulus) कहते हैं।

इस ग्लोमेरूलस का एक सिरा ब्रोमेन संपुट में अपशिष्ट युक्त गंदा रक्त लाने का कार्य करता है तथा इसका दूसरा सिरा स्वच्छ रक्त को ले जाने के लिए वृक्क सिरे से जुड़ा होता है।

2. वृक्क नलिका

जो नलिका ब्रोमेन संपुट के निचले हिस्से से प्रारंभ होती है उसे वृक्क नलिका कहते हैं जिसका दूसरा हिस्सा मूत्र को इकट्ठा करने वाली नलिका से जुड़ा होता है और यह  वृक्क नलिका मध्य भाग से एक हेयर पिननुमा कुडलित होकर हैनले लूप का निर्माण करती है।

मनुष्य में मूत्र कैसे बनता है?

मनुष्य के शरीर में मूत्र का निर्माण तीन चरणों में संपादित होता है जो कि निम्न है

  • ग्लोमेरूलस निस्पंदन
  • पून: अवशोषण
  • स्रवण

यह तीनों कार्य वृक्क अलग-अलग हिस्सों में होते है और वृक्क में लगातार रक्त प्रवाहित होता रहता है यह रक्त धमनी के माध्यम से वृक्क में लाया जाता है इस रक्त में बहुत सारे अपशिष्ट पदार्थ होते हैं और इस धमनी की शाखाएं जोकि अभिवाही धामनियाँ (Afferent arteriole) नेफ्रॉन में ब्रोमेन संपुट में जाकर कोशिकाओं के गुच्छे के रूप में परिवर्तित हो जाती है और यहां पर रक्त का निस्पंदन का कार्य पूर्ण किया जाता है

 प्रतिदिन मनुष्य का शरीर लगभग 1000 से 1200 ml रक्त का निस्पंदन करने है के कार्य को पूर्ण करता है इस क्रिया के दौरान रक्त में से लवण, एमीनो एसिड, ग्लूकोस, यूरिया आदि तत्वों का निस्पंदिन होकर ब्रोमेन संपुट में इकट्ठा हो जाता है इसके बाद निस्पंदन वृक्क नलिका से गुजरता है इस वृक्क नलिका का अंदरूनी भाग धनाकार उपकला कोशिकाओं से मिलकर बना होता है यह सभी कोशिकाएं निस्पंदन में से लगभग पूरा ग्लूकोस अमीनो अम्ल तथा अन्य उपयोगी पदार्थों का पूर्ण रूप से अवशोषण कर लेती है फिर इन उपयोगी पदार्थों, ग्लूकोस एवं अमीनो एसिड को रक्त के पर वहां के साथ पूर्ण प्रेषित कर दिया जाता है।

 मनुष्य की वृक्क नलिका द्वारा लगभग 99% निस्पंदन को पून: अवशोषण कर लिया जाता है इस के बाद नेफ्रॉन द्वारा पुन: अवशोषण के पश्चात साफ हुए रक्त को अपवाही धमनिया संग्रहित करती है और पुन: अवशोषण किए गए पदार्थ में यूरिया जैसे अपशिष्ट पदार्थ नहीं होते हैं और यह अपशिष्ट पदार्थ वृक्क नलिकाओं में ही रहते हैं फिर यह  अपशिष्ट तरल पदार्थ ही मूत्र का निर्माण करता है

नेफ्रॉन से मूत्र को वृक्क कि सग्रंहण नलिकाओं में ले जाया जाता है फिर यहां से मूत्र मूत्रनलिकाओं में जाता है और दोनों वृक्क में से एक-एक मूत्र नलिका मूत्राशय में जाकर खुलता है मूत्राशय से एक ऐसा अंग है जहां पर मूत्र को इकट्ठा किया जाता है और जिस प्रकार जैसे-जैसे मूत्र इकट्ठा होता हैं वैसे वैसे मूत्राशय बड़ा होता जाता है।

मूत्राशय में पर्याप्त मूत्र जमा होने पर हमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र द्वारा ऐच्छिक संदेश मूत्राशय को प्राप्त होता है इस संदेश से मूत्राशय की पेशियों का संकुचन होता है फिर मूत्राशयी अवरोधानी में शीथिलन उत्पन्न होती है इसके पश्चात मूत्र का उत्सर्जन होता है और इस मूत्रण को संपन्न करने वाली तंत्रिका को मूत्रण प्रतिवर्त कहते हैं और वृक्क द्वारा साफ़ किए गए रक्त को वृक्क शिरा लेकर जाती है।

तो मुझे आशा है कि आप सभी जान गए होंगे कि utsarjan kise kahate hain और इसी के साथ मानव उत्सर्जन तंत्र का सचित्र वर्णन करके मानव उत्सर्जन तंत्र के बारे में बहुत ही गहराई से समझा है और यदि आपका उत्सर्जन तंत्र से संबंधित कोई भी सवाल है तो आप मुझे कमेंट करके जरूर बताइए।

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