मानव हृदय की संरचना व कार्य विधि का वर्णन कीजिए

इस पोस्ट में मानव हृदय की संरचना व कार्य विधि का वर्णन करेंगे तथा मानव हृदय से संबंधित सभी जानकारी को बहुत ही सरलता से समझेंगे।

मानव हृदय की संरचना व कार्य विधि का वर्णन

हृदय मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग है और यह पेशियां से बना होता है इसका आकार बंद मुट्ठी के जैसा होता है इसका मुख्य कार्य शरीर में रक्त को पंप करना है और हृदय शरीर से आने वाले अशुद्ध रक्त को फेफड़ों तक पहुंचना है फिर फेफड़ों से आने वाले शुद्ध रक्त जिसमें ऑक्सीजन गुल्ली होती है उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचने का कार्य करता है

मानव हृदय की संरचना (structure of heart)

मानव हृदय मांसपेशियों से मिलकर बना होता है और मानव हृदय की तीन परते होती है सबसे बाहरी परत को हृदयावरण (Pericardium) कहते हैं यह परत हृदय की  सुरक्षा करती है और हृदय की आंतरिक परत को एंडोकार्डियम कहते हैं तथा इन दोनों परतों के बीच में जो परत होती है उसे मायोकार्डियम कहते हैं यह हृदय की सबसे मोटी परत होती है।

मानव हृदय में कितने चेंबर होते हैं

मानव हृदय को चार चेंबर में बांटा गया है जो कि निम्न है

  • दांया अलिंद
  • दांया निलय
  • बांया अलिंद
  • बांया निलय

मानव हृदय में ऊपर की और जो दो चेंबर होते हैं उन्हें अलिंद कहते हैं तथा बाएं तरफ वाले चैंबर को बांया अलिंद कहते हैं और दाएं तरफ वाले चेंबर को दांया अलिंद कहते हैं और हृदय के निचले वाले भाग को निलय कहते हैं और यह निलय दो चेंबर में बटा होता है तथा दाएं तरफ वाले चेंबर को दांया निलय कहते हैं और बाएं तरफ वाले चेंबर को बांया निलय कहते हैं।

heart diagram in hindi

हृदय में दाएं अलिंद से महाशिरा जुड़ी होती है जो की अशुद्ध रक्त को दाएं अलिंद में लाती है और दांया आलिंद व दांया निलय के मध्य में त्रिवलक एट्रियोवेट्रिकुलर वाल्व (Tricuspid atrioventricular valve) होता है और यह दांया निलय फुफ्फुस धमनी से जुड़ा होता है और इन दोनों के मध्य में भी एक वाल्व होता है जिसे पल्मोनरी वाल्व(Pulmonary valve) कहते हैं।

हृदय में दाएं और बाएं अलिंद और निलय आपस में पेशिय  झिल्ली से पृथक होते हैं और बायां अलिंद फुस्फुस शिरा से जुड़ा होता है इसी के साथ बायां अलिंद व बायां निलय आपस में एक द्वविवलन कपाट (Bicuspid valve) या एट्रियोवेट्रिकुलर वाल्व से जुड़ा होता है और बायां निलय से महाधमनी जुड़ी होती है तथा इन दोनों के मध्य एक वाल्व लगा होता है उसे एरॉटिक वाल्व (Aortic valve) कहते हैं

मानव हृदय की क्रियाविधि (Heart function in hindi)

हृदय में अलिंद व निलय लयबद्ध रूप से संकुचन में शीथिलन की क्रिया में संलग्न रहते हैं इस क्रिया से हृदय शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त पंप करता है हृदय में सबसे पहले शरीर से अशुद्ध रक्त महाशिरा (Vena cave) के द्वारा हृदय में दाएं अलिंद में इकट्ठा होता है इसके बाद त्रिवलक एट्रियोवेट्रिकुलर वाल्व खुलता है जिसके कारण दाएं अलिंद से अशुद्ध रक्त दाएं निलय में आ जाता है और त्रिवलक एट्रियोवेट्रिकुलर वाल्व की बनावट ऐसी होती है कि यह रक्त को विपरीत दिशा में नहीं जाने देता है जिस कारण दाएं निलय के संकुचित होने पर रक्त फिर से दाएं अलिंद में नहीं जाता है

इसके पश्चात दांए निलय में रक्त आने के बाद संकुचित होने पर यह रक्त को फुफ्फुस धमनी की और पंप करता है जिसके कारण दाएं निलय और फुफ्फुस धमनी के मध्य जो पल्मोनरी वाल्व होता है वह खुल जाता है जिसके कारण रक्त फुफ्फुस धमनी में चला जाता है और पल्मोनरी वाल्व भी रक्त को विपरीत दिशा में नहीं जाने देता है जिसके कारण रक्त फिर से दाएं निलय में नहीं आता है।

manav hriday ka chitra

फुफ्फुस धमनी द्वारा अशुद्ध रक्त को फेफड़ों में ले जाया जाता है और फेफड़ों में श्वसन प्रक्रिया द्वारा रक्त को ऑक्सीकृत किया जाता है और रक्त को शुद्ध बनाया जाता है 

इसके पश्चात शुद्ध रक्त को फेफड़ों से फुफ्फुस शिरा द्वारा हृदय के बाएं अलिंद में लाया जाता है इसके पश्चात बाएं अलिंद व बाएं निलय के मध्य जो माइट्र्ल वाल्व(Mitral valve) जिसे एट्रियोवेट्रिकुलर वाल्व भी कहते हैं वह खुल जाता है और शुद्ध रक्त बाएं अलिंद से बाएं निलय में आ जाता है और इस वाल्व की बनावट ऐसी होती है कि यह रक्त को बाएं निलय में संकुचित होने पर बाय अलिंद में रक्त को जाने से रोकता है और निलय में संकुचन होने के कारण बांए निलय और महाधमनी के मध्य जो एरॉटिक वाल्व होता है वह खुल जाता है।

जिससे शुद्ध रक्त महाधमनी में चला जाता है और एरॉटिक वाल्व की बनावट ऐसी होती है कि यह रक्त को विपरीत दिशा में जाने से रोकता है जिसके कारण रक्त फिर से बाएं निलय में नहीं जाता है और इन वाल्व के खुलने और बंद होने पर लब- डब की आवाज सुनाई देती है इसके पश्चात महाधमनी द्वारा शुद्ध रक्त को शरीर में भेज दिया जाता है और यह चक्र निरंतर चलता ही रहता है इस चक्र को हृदय चक्र (Cardiac cycle) कहते हैं तथा मानव हृदय में होने वाले संकुचन को प्रकुंचन (Systole) और शिथिलावस्था को अनुशिथिलन(Diastole) कहते हैं।

मानव हृदय की कार्य विधि में रक्त को हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है पहले शरीर से हृदय मे यह अशुद्ध रक्त आता है और यह अशुद्ध रक्त फेफड़ों में जाता है फिर शुद्ध रक्त फेफड़ों से हृदय में आता है और फिर निलय से शुद्ध रक्त को महाधमनी द्वारा शरीर में वापस भेज दिया जाता है इस प्रकार के परिसंचरण को द्विसंचरण कहते हैं।

सिनोएट्रियल नोड क्या है

मानव हृदय में एक प्राकृतिक पेसमेकर (गति प्रेरक) लगा होता है जिसे सिनोएट्रियल नोड कहते हैं यह हृदय की गति को निर्धारित करता है यह अनेक कोशिकाओं का एक समूह होता है जो की दाएं अलिंद की ऊपरी परत में उपस्थित होता है तथा इसमें विद्युत आवेग उत्पन्न करने की क्षमता होती है और यह लगातार विद्युत आवेग उत्पन्न करता रहता है।

मानव ह्रदय से संबधित-FAQ

मनुष्य का हृदय 1 मिनट में कितनी बार धड़कता है

एक सामान्य मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है लेकिन यह नंबर सभी मनुष्य में सम्मान नहीं रहता है यह थोड़ा ज्यादा या काम हो सकता है।

इंसान के दिल का वजन कितना होता है?

एक सामान्य व्यक्ति के दिल का वजन 300 ग्राम होता है लेकिन किसी भी व्यक्ति के दिल का वजन उसके आकार और वजन पर निर्भर करता है।

मनुष्य का हार्ट किधर होता है

मनुष्य का हार्ट छाती के मध्य में बायीं ओर होता है और इसका 75% भाग बायी तरफ होता है बाकी का दायीं ओर होता है तथा हार्ट पसलियों के नीचे सुरक्षित रहता है।

मानव हृदय के चित्र में नीला और लाल रंग किसको प्रदर्शित करते हैं

मानव हृदय के चित्र में नीला रंग अशुद्ध रक्त को प्रदर्शित करता है और लाल रंग शुद्ध रक्त को प्रदर्शित करता है इन रंगों की सहायता से मानव हृदय के चित्र को आसानी से समझा जा सकता है।

हृदय एक बार में कितना रक्त पंप करता है?

एक सामान्य मनुष्य का हृदय एक बार में 70ml रक्त पंप करता है तथा हृदय 1 मिनट में लगभग 5 लीटर रक्त को पंप करता है।

मगरमच्छ के हृदय में कितने कक्ष होते हैं

मगरमच्छ के हृदय में चार कक्ष होते हैं जिनमें से 2 अलिंद व 2 निलय हैं लेकिन अन्य सभी उभयचर या सरीसृप जीवों में तीन कक्ष वाला हृदय पाया जाता है।

मेंढक के हृदय में कितने कक्ष होते हैं

मेंढक के हृदय में तीन कक्ष होते हैं क्योंकि मेंढक एक तीन कक्षीय हृदय वाला उभयचर जीव है इसके हृदय में दो अलिंद और एक निलय होता है।

दोस्तों मुझे आशा है कि आप सभी समझ गए होंगे कि मानव हृदय की संरचना कैसी है और इसकी कार्य विधि क्या है।

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