आपका Gadri Academy में स्वागत है आज हम जानेंगे कि अम्ल, क्षार और लवण किसे कहते हैं और किस प्रकार अलग-अलग रासायनिक वैज्ञानिकों द्वारा अम्ल और क्षार की अलग-अलग संकल्पना दि है उनके बारे में विस्तार में जानेंगे और अम्ल तथा क्षार के सामान्य गुण क्या होते हैं यह भी जाएंगे।
अम्ल क्षार एवं लवण की परिभाषा उदाहरण सहित
जब भी हम भोजन करते हैं या फिर फल खाते हैं तो वह हमें स्वाद में खट्टे या कड़वे लगते है यह कड़वा और खट्टा स्वाद उसमें उपस्थित अम्ल और क्षार के कारण आता है इसी प्रकार प्रकृति में अम्ल, क्षार और लवण यह तीनों प्रकृति में मुख्य रूप से पाए जाते हैं
अम्ल किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए
अम्लीय पदार्थ स्वाद में खट्टे होते हैं जैसे कि इमली, नींबू, संतरा, नींबू आदि में अम्ल होता है
अम्ल को अंग्रेजी में एसिड (Acid) कहते हैं इस शब्द को लैटिन भाषा के शब्द एसिड्ट(Acidus) जिसका मतलब खट्टा है उससे मिलकर बना है
अम्ल (acid) का मुख्य गुण यह है कि यह नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जिससे हम आसानी से यह पता कर सकते हैं कि किसी पदार्थ की प्रकृति अम्लीय है या नहीं।
कुछ अम्लीय पदार्थों के उदाहरण जिनमें निम्न अम्ल पाया जाता है।
- सिरके में एसिटिक अम्ल पाया जाता है
- लाल चींटी के डंक में फार्मिक अम्ल पाया जाता है
- इमली में टारटरिक अम्ल पाया जाता है
- मनुष्य के पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है
- सन्तरे में एस्कार्बिक अम्ल पाया जाता है
क्षार किसे कहते हैं उदाहरण सहित
क्षारीय पदार्थ स्वाद में कड़वे होते हैं और इनका मुख्य गुण यह होता है कि यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं जिससे हम बहुत ही आसानी से यह पता लगा सकते हैं की कोई पदार्थ क्षारीय है या नहीं।
क्षार को स्पर्श करने पर वह साबुन जैसा व्यवहार करता है और क्षार अम्लों को उदासीन करने का सामर्थ्य रखते हैं तथा क्षार जल में विलेय होते हैं।
क्षार के कुछ उदाहरण निम्न है
- सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)
- एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड (Al(OH)₃)
- पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
- अमोनियम हाइड्रोक्साइड
लवण किसे कहते हैं तीन उदाहरण लिखिए
जब अम्ल और क्षार की रासायनिक अभिक्रिया कराई जाती है तो लवण और जल प्राप्त होता है जैसे की :-
अम्ल + क्षार → लवण + जल
HCl + NaOH → NaCI + H₂O
इस रासायनिक अभिक्रिया को उदासीनीकरण क्रिया भी कहते हैं और यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है जिसमें प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार से बने हुए लवण उदासीन होते हैं इसी प्रकार दुर्बल क्षार और प्रबल अम्ल से बनाने वाले लवण अम्लीय होते हैं और जब प्रबल क्षार और दुर्बल अम्ल से जो लवण बनता है वह क्षारीय होता है
HCI + NH₄OH → NH₄CI (अम्लीय लवण) + H₂O
CH₃COOH + NaOH → CH₃COONa (क्षारीय लवण) + HCI
लवणों का क्वथनांक और गलनांक उच्च होता है यह ज्यादातर क्रिस्टल के रूप में पाए जाते हैं इन क्रिस्टलों में इनके साथ क्रिस्टलन जल भी उपस्थित होता है
लवण के इकाई सूत्र को लिखने पर जल के अणुओं की जो निश्चित संख्या जुड़ी होती है उसको क्रिस्टलन जल कहते हैं। जैसे की –
1. Na₂CO₃.10 H₂O (सोडियम कार्बोनेट)
इस सोडियम कार्बोनेट लवण में 10 अणु जल के क्रिस्टलाइन जल के रूप में उपस्थित है।
2. CaSO₄.2H₂O (जिप्सम)
इसमें जिप्सम के लवण में 2 अणु जल के क्रिस्टलाइन जल के रूप में उपस्थित होते हैं।
3. K₂SO₄.AI₂(SO₄)₃ . 24H₂O (फिटकरी)
इसमें फिटकरी के लवणों में 24 अणु जल के किस्त लाइन जल के रूप में उपस्थित होते हैं
तनु विलयन किसे कहते हैं
अम्ल और क्षार दोनों ही जल में विलेय होते हैं जब अम्ल या फिर क्षार के विलियन में अम्ल या क्षार की मात्रा से अधिक जल मिलाया जाता है तो उसे विलयन को तनु विलियन कहते हैं
सांद्र विलयन किसे कहते हैं
जब अम्ल या फिर क्षार के विलियन में जल की तुलना में अम्ल या क्षार की मात्रा अधिक होती है तो इस प्रकार के विलयन को सांद्र विलयन कहते हैं
अम्ल और क्षार की परिभाषा अलग-अलग रासायनिक वैज्ञानिकों के द्वारा अलग-अलग बताई गई है और इन सभी वैज्ञानिकों की अम्ल और क्षार के प्रति अलग-अलग संकल्पनाएं हैं तो चलिए हम इन सभी संकल्पना के बारे में जानते हैं
अम्ल और क्षार की अरेनियस अवधारणा क्या है?
सर्वप्रथम अम्ल और क्षार की परिभाषा अरेनियस ने 1887ई. को दी थी ।
प्रबल अम्ल और दुर्बल अम्ल किसे कहते हैं
अरेनियस के अनुसार जो पदार्थ जलीय विलियन में अपघटित होकर हाइड्रोजन आयन देते हैं उन्हें अम्ल कहते हैं।
अम्ल के उदाहरण –
HCI → H⁺ + CI⁻ (प्रबल अम्ल)
HNO₃ → H⁺ + NO₃⁻ (प्रबल अम्ल)
H₂SO₄ → 2H⁺ + SO₄⁻² (प्रबल अम्ल)
CH₃COOH → H⁺ + CH₃COO₄⁻ (दुर्बल अम्ल)
H₂CO₃ → H⁺ + HCO₃⁻ (दुर्बल अम्ल)
यह सभी उदाहरण अम्ल के है क्योंकि अम्लीय पदार्थ जलीय विलियन में ( H⁺ ) आयन देते हैं इनमें मुक्त प्रोटॉन यानी की हाइड्रोजन आयन बहुत अधिक क्रियाशील होते हैं जो कि जल से क्रिया करके हाइड्रोनियम आयन (H₃O⁺) बनाते हैं
H⁺ + H₂O → H₃O⁺
प्रबल अम्ल
कुछ ऐसे अम्ल भी होते हैं जोकि जलीय विलियन में पूर्णतया आयनिक हो जाते हैं इस प्रकार के अम्लों को प्रबल अम्ल कहते हैं
प्रबल अम्ल के उदाहरण – HCI, H₂SO₄ ,HNO₃ आदि।
दुर्बल अम्ल
कुछ ऐसे भी अम्ल होते हैं जो की जलीय विलियन में पूर्णतया आयनिक नहीं होते हैं और यह अवियोजित अवस्था में भी कुछ मात्रा में ही रहते हैं तो प्रकार के अम्ल को दुर्बल अम्ल कहते हैं
दुर्बल अम्ल के उदाहरण – CH₃COOH , H₂CO₃ आदि।
प्रबल क्षार और दुर्बल क्षार क्या है?
जो पदार्थ जलीय विलियन में अपघटित होकर हाइड्रोक्सिल आयन देते हैं उन्हें क्षार कहते हैं
क्षार के उदाहरण –
KOH → K⁺ + OH⁻ (प्रबल क्षार)
NaOH → Na⁺ + OH⁻ (प्रबल क्षार)
Ca(OH)₂ → Ca⁺ + 2OH⁻ (दुर्बल क्षार)
NH₄OH → NH₄⁺ + OH⁻ (दुर्बल क्षार)
यह सभी उदाहरण क्षार के हैं क्योंकि क्षार जलीय विलियन में हाइड्रोक्सिल आयन(OH⁻) देते हैं
प्रबल क्षार
कुछ ऐसे भी क्षार है जो की जलीय विलियन में पूर्ण रूप से आयनिन हो जाते हैं इस प्रकार के क्षार को प्रबल क्षार कहते हैं
प्रबल क्षार के उदाहरण – KOH, NaOH आदि।
दुर्बल क्षार
कुछ ऐसी भी क्षार है जोकि जलीय विलियन में पूर्ण रूप से आयनित नहीं होते हैं इस प्रकार के क्षार को दुर्बल क्षार कहते हैं।
दुर्बल क्षार के उदाहरण – NH₄OH , Mg(OH)₂ आदि।
अरेनियस के अनुसार जब भी अम्ल और क्षार की क्रिया कराई जाती हैं तो OH⁻ और H⁺ आयन परस्पर संयोग करके जल का निर्माण करते हैं इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण कहते हैं और इस अभिक्रिया में ऊष्मा मुक्त होती है अर्थात यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है।
उदाहरण – H⁺ + OH⁻ → H₂O
अम्ल और क्षार की अरहेनियस अवधारणा की सीमाएं क्या हैं
अरेनियस की संकल्पना या अवधारणा उन अम्लों और क्षारों के लिए उपयुक्त है जिनमें OH⁻ और H⁺आयन उपस्थित होते हैं लेकिन अरेनियस की संकल्पना से हाइड्रोजन विहीन अम्लों तथा हाइड्रोक्सिल विहीन क्षारों की प्रकृति के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं पता चल पाता है इसी करण दूसरे रासायनिक वैज्ञानिक को द्वारा और अन्य संकल्पनाएं दी गई।
ब्रोंस्टेड और लोरी के अनुसार अम्ल और क्षार की परिभाषा क्या है?
सन् 1874 से 1936 के बीच में डेनिश रसायनज्ञ जोहान्स ब्रांस्टेड और अंग्रेज रसायनज्ञ थॉमस एम. लोरी द्वारा अम्लों और क्षारों की परिभाषा दी गई थी
ब्रांस्टेड लोरी के अनुसार अम्ल प्रोटोन दाता होता है और क्षार प्रोटॉन ग्राही होता है
और इस संकल्पना में ब्रांस्टेड लोरी द्वारा संयुग्मी अम्ल और संयुग्मी क्षारक की अवधारणा दी थी।
HA + B
A⁻ + HB⁺
- (HA – A⁻) इसको अम्ल संयुग्मी क्षार युग्म कहते हैं।
- (B – HB⁺) इसको क्षार संयुग्मी अम्ल युग्म कहते हैं।
उदाहरण –
इस रासायनिक समीकरण में हम यह देखते हैं कि जल प्रोटॉन दाता है जो की अम्ल है और जल प्रोटॉन देखकर संगत क्षार (OH⁻)में बदल जाता है जिसे संयुग्मी क्षार भी कहते हैं और इसमें अमोनिया (NH₃) प्रोटॉन ग्राही है यानी कि यह प्रोटॉन को ग्रहण करता है इससे हमें यह पता चलता है कि यह क्षार है। और अमोनिया प्रोटोन को ग्रहण करके संगत अम्ल (NH₄⁺) अमोनियम आयन में परिवर्तित हो जाता है तो इसे संयुग्मी अम्ल कहते हैं
(NH₃ – NH₄⁺) और (H₂O – OH⁻) को संयुग्मी अम्ल क्षार युग्म कहते हैं और यह सिर्फ एक प्रोटोन या फिर एक H⁺आयन की उपस्थिति के करण ही बनते हैं
ब्रोंस्टेड लोरी सिद्धांत की सीमाएं क्या हैं?
ब्रांस्टेड लोरी की संकल्पना के द्वारा अपरोटिक अम्लों और क्षारों जैसे की BF₃ CO₂ SO₂ आदि के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं बताया गया है और इसी कमी के कारण लुइस द्वारा इलेक्ट्रॉन के आधार पर अम्ल और क्षार की नई संकल्पना बताई गई जो कि निम्न है।
लुईस सिद्धांत के अनुसार अम्ल और क्षार क्या हैं?
रासायनिक वैज्ञानिक लुईस द्वारा सन 1923 एक नई संकल्पना दी गई। इस संकल्पना के अनुसार अम्ल ऐसा पदार्थ है जोकि इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करता है और क्षार वह पदार्थ होता है जो की इलेक्ट्रॉन युग्म को त्यागता है अर्थात हम यह कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही अम्ल कहलाता है और इलेक्ट्रॉन युग्म में दाता क्षार कहलाता है
लुईस अम्ल किसे कहते हैं
लुईस की इस संकल्पना के अनुसार इलेक्ट्रॉन की कमी वाले यौगिक अम्ल का कार्य करते हैं और इन्हें लुइस अम्ल कहते हैं और हम यह भी कह सकते हैं कि वे यौगिक जो की साधारणतया धनायन हो या फिर वह यौगिक जिसका अष्टक अपूर्ण होता है उससे लुइस अम्ल कहते हैं
लुईस अम्ल के उदाहरण :- BF₃ AICI₃ Mg⁺² Na⁺ आदि है।
लुईस क्षार किसे कहते हैं
लुईस की संकल्पना के अनुसार वे यौगिक जो की इलेक्ट्रॉन धनी हो या फिर इलेक्ट्रॉन का एकांकी युग में रखने वाला यौगिक क्षार का कार्य करता हो तो वह लुईस क्षार कहलाता है।
लुईस क्षार के उदाहरण :- H₂O NH₃ OH⁻ CI⁻ आदि है
BF₃ + NH₃ → F₃B <–NH₃
इस रासायनिक समीकरण के अनुसार लुईस क्षार इलेक्ट्रॉन देते हैं और लुईस अम्ल इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर कर योग बना लेते हैं और यह दोनों परस्पर एक दूसरे से उपसहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े होते हैं
इस संकल्पना से हमें यह पता चलता है कि अम्ल और क्षार केवल H⁺ और OH⁻ युक्त पदार्थ ही नहीं होते हैं और इन संकल्पनाओं के आधार पर हाइड्रोजन रहित पदार्थों के अम्लीय और क्षारीय गुणों की व्याख्या भी की जा सकती है
अम्ल और क्षार के रासायनिक गुण
1. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है और क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है।
2. सभी अम्ल क्षारों के साथ रासायनिक अभिक्रिया करके अपने गुण को खो देते हैं और उदासीन हो जाते हैं और इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण कहते हैं
उदाहरण :-
अम्ल + क्षार → लवण + जल
HCI + NaOH → NaCI + H₂O
3. अम्ल धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनता है इसी कारण खट्टे अम्लीय पदार्थों को धातु के बर्तनों में नहीं रखा जाता है। जैसे :- दही ,छाछ , इमली की चटनी आदि।
अम्ल + धातु → लवण + H₂
H₂SO₄ + Zn → ZnSO₄ + H₂
जब जिंक(Zn) धातु की सोडियम हाइड्रोक्साइड(NaOH) के साथ अभिक्रिया करवाई जाती है तो उससे भी लवण और हाइड्रोजन गैस बनती है। लेकिन सभी धातुओं के साथ क्षार की अभिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस नहीं निकलती है यह सिर्फ कुछ ही धातुओं के साथ हाइड्रोजन गैस बनता है
2NaOH + Zn → Na₂ZnO₂ + H₂
4. सभी प्रकार के अम्ल और क्षार के जलीय विलियन विद्युत के अच्छे सुचालक होते हैं और इनका उपयोग विद्युत अपघटन के रूप में भी किया जाता है।
जैसे कि रासायनिक बैटरी में अम्ल(acid) का उपयोग किया जाता है।
5. अम्ल धातु ऑक्साइड के साथ रासायनिक अभिक्रिया करके लवण और जल बनता है
धातु ऑक्साइड + अम्ल → लवण + जल
CuO + 2HCI → CuCI₂ + H₂O
धातु ऑक्साइड अम्ल के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनता है तो ये क्षारीय प्रवृत्ति के होते हैं।
जब क्षारों के साथ अधात्विक ऑक्साइड की रासायनिक अभिक्रिया कराने पर लवण और जल बनता है तो ये अम्लीय प्रवृत्ति के होते हैं।
अधातु ऑक्साइड + क्षार → लवण + जल
CO₂ + Ca(OH)₂ → CaCO₃ + H₂O
तो दोस्तों मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे कि अम्ल, क्षार और लवण क्या होते है और अम्ल तथा क्षार का कैसे पता लगाया जा सकता है और यदि आपका अम्ल, क्षार और लवण से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो आप मुझे कमेंट करके जरूर बताएं।
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