आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि sabun aur apmarjak mein antar क्या है और मृदु जल में साबुन तथा कठोर जल में अपमार्जक का उपयोग क्यों किया जाता है और साबुन और अपमार्जक में क्या क्या अंतर है इसके बारे में विस्तार से समझेंगे।
साबुन और अपमार्जक में अंतर क्या है
साबुन और अपमार्जक में अंतर क्या है यह जानने से पहले हम साबुन और अपमार्जक के बारे में विस्तार में जानेंगे और हम मिसेल निर्माण के बारे में जानेंगे ताकि हम साबुन और अपमार्जक के अंतर को आसानी से समझ सके।
साबुनीकरण किसे कहते हैं
सबसे पुराना अपमार्जक साबुन को माना जाता है साबुन दीर्घ श्रृंखला वाले C₁₂ से C₁₈ कार्बन परमाणु वाले वसा अम्ल जैसे कि पामिटिक , स्टेरिक , ओलिक अम्लों के पोटेशियम तथा सोडियम लवण से मिलकर बना होता है इसे बनाने के उच्च वसीय अम्लों को पोटेशियम हाइड्रोक्साइड सोडियम हाइड्रोक्साइड के जलीय विलियन के साथ गरम करके बनाया जाता है और इस प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले साबुन मे सोडियम क्लोराइड मिलाने से साबुन और ग्लिसरील अलग अलग हो जाता है केवल वही साबुन जल में मिल पाता है जो कि उच्च वसीय अम्लों के सोडियम और पोटेशियम लवणों से बना होता है और पोटेशियम लवणों से बने साबून अधिक मृदु होते हैं
इसीलिए इसका उपयोग शेविंग क्रीम ,शैंपू आदि बनाने में किया जाता है और पारदर्शी साबुन बनाने के लिए ग्लिसरीन का उपयोग किया जाता है
साबुन का रासायनिक समीकरण
साबुन का सूत्र
साबुन का रासायनिक सूत्र सोडियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग करने पर RCOONa होता है तथा पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग करने पर साबुन का सूत्र RCOOK होता है
R = C₁₇H₃₅
सोडियम हाइड्रोक्साइड :- C₁₇H₃₅COONa
पोटेशियम हाइड्रोक्साइड :- C₁₇H₃₅COOK
क्या साबुन कठोर जल में झाग देता है?
साबुन कठोर जल में झाग नहीं देता है लेकिन साबुन मृदु जल में बहुत अधिक मात्रा में झाग देता है और मृदु जल में सफाई का कार्य भी अच्छी तरह करता है लेकिन साबुन कठोर जल में झाग नहीं देता है और सफाई का कार्य भी अच्छा नहीं करता है क्योंकि कठोर जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयन होते हैं जो कि साबुन के अणुओं में से सोडियम आयन को प्रतिस्थापित कर देता है
जिसके कारण उच्च वसीय अम्लों के कैल्शियम और मैग्निशियम लवणों का निर्माण होता है और यह लवण जल में अघुलनशील होते हैं अतः अवक्षेपित हो जाते हैं जिसके कारण साबुन कठोर जल में झाग नहीं देता है और कठोर जल में सफाई भी सही तरीके से नहीं कर पाता है और इस समस्या के समाधान के लिए अपमार्जकों का उपयोग किया जाता है
अपमार्जक किसे कहते हैं (detergent kya hai)
अपमार्जक भी साबुन की तरह होते हैं लेकिन यह कठोर जल और मृदु जल दोनों ही प्रकार के जल में झाग बनाते हैं और अपमार्जक दोनों प्रकार के जल में अच्छी तरह सफाई करता है इसीलिए सफाई के लिए ज्यादातर अपमार्जको का उपयोग किया जाता है
अपमार्जक मुख्य रूप से सोडियम एल्किल सल्फेट (R-O-SO₃Na) और सोडियम एल्किल बेंजीन सल्फोनेट (R-C₆H₅-SO₃Na) से मिलकर बना होता है और इसके अलावा भी अनेक प्रकार के अपमार्जक पाए जाते हैं तथा अपमार्जको के सोडियम आयन, कैल्शियम आयन और मैग्नीशियम आयन से प्रतिस्थापित होकर कैलशियम मैग्निशियम सल्फोनेट का निर्माण करते हैं यह सेलफोनेटस जल में घुलनशील होते हैं और यह साबुन की तरह अवक्षेपित नहीं होते हैं जिसके कारण अपमार्जक से साफ सफाई करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है
लेकिन इन संश्लेषित अपमार्जकों के जरिए जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि जीवाणु अपमार्जकों का आसानी से अपघटन नहीं कर पाते हैं
यदि हाइड्रोकार्बन श्रृंखला कम शाखित होती है तो इसका जीवाणुओं द्वारा अपघटन आसानी से किया जा सकता है जिससे प्रदूषण कम होता है तथा ज्यादातर लंबी और कम शाखित हाइड्रोकार्बन श्रंखला वाले बेंजीन सल्फोनेट वाले अपमार्जक का उपयोग किया जाता है
आज के समय में अपमार्जकों की क्षमता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इसमें अकार्बनिक फाँस्फेट, सोडियम परऑक्सीबोरेट तथा कुछ खास प्रकार के योगिक भी मिलाए जाते हैं और साबुन एवं अपमार्जक के जरिए सफाई करने की क्रिया मिसेल बनाकर की जाती है
साबुन के मिसेल का निर्माण किस प्रकार होता है ?
अपमार्जक और साबुन को मिलाकर मिसेल बनाकर शोधन की क्रिया की जाती है और सबसे पहले सोडियम स्टिएरेट जैसे साबुन के जो अणु होते हैं उनका जल में आयनन होता है जिसकी समीकरण निम्न है
C₁₇H₃₅COONa → C₁₇H₃₅COO⁻ + NA⁺
यदि R = C₁₇H₃₅ लिखते हैं तो निम्न समीकरण प्राप्त होती है
RCOONa → RCOO⁻ + NA⁺
इसमें उपस्थित हाइड्रोकार्बन पूंछ (R) जोकि जल विरोधी होता है और इसका धुव्रीय सिरा जोकि जल स्नेही होता है इसके अंदर इसका यह भाग इस प्रकार से व्यवस्थित होते हैं की हाइड्रोकार्बन पूंछ का भाग अंदर की ओर होता है और इसका दूसरा ऋणावेशित धुव्रीय सिरा बाहर की ओर होता है इसी को मिसेल कहते हैं।
ज्यादातर वह गंदगी जिसमें तेल की बूंदे या चिकनाई होती है वह जल में अघुलनशील होती है लेकिन यह हाइड्रोकार्बन में घुलनशील होती है और जब भी हम सफाई करते हैं तब साबुन के द्वारा चिकनाई के चारों तरफ साबुन के अणु मिसेल का निर्माण करते हैं इस मिसेल के अंदर जल विरोधी हाइड्रोकार्बन भाग उपस्थित होते हैं
जोकि चिकनाई को अपनी और आकर्षित करते हैं और जलस्नेही ध्रुवीय भाग बाहर की तरफ निकला हुआ रहता है इस प्रकार की चिकनाई को चारों तरफ से घेर कर मिसेल का निर्माण हो जाता है और बाहरी सिरे पर उपस्थित ध्रुवीय सिरे जल के संपर्क में आते हैं और संपूर्ण चिकनाई जल अपने अंदर खींच लेता है।
जितने भी मिसेल होते हैं सभी ऋणावेशित और समान आवेशित होते हैं तथा अवक्षेपित नहीं होते हैं जैसे कि जब भी हम गंदे कपड़ों को साबुन लगाने के बाद पानी में डालकर कुछ समय बाद निकालते हैं तो गंदगी कपड़ों से अलग होकर पानी में आ जाती है जिससे कपड़े से गंदगी हट जाती है और कपड़े साफ हो जाते हैं
Sabun aur Apmarjak mein Antar Table Bataiye
साबुन | अपमार्जक |
यह जल प्रदूषण को नहीं बढ़ाता है | यह जल प्रदूषण को बढ़ाता है |
इसका उपयोग केवल मृदु जल में किया जाता है | इसका उपयोग मृदु जल और कठोर जल दोनों में किया जाता है |
यह मुख्य रूप से वसीय अम्लों के सोडियम और पोटेशियम लवण होते हैं | यह सोडियम एल्किल सल्फेट तथा सोडियम एल्किल बेंजीन सल्फोनेट लवण होते हैं |
इसमें -COONa समूह उपस्थित होता है | इसमें -SO₃Na समूह उपस्थित होता है |
यह तेल युक्त होता है जिसके कारण इसमें सफाई का गुण कम होता है | यह तेल रहित होता है जिसके कारण इसमें सफाई का गुण साबुन से अधिक होता है |
इसका जलीय विलियन क्षारीय होता है | इसका जलीय विलियन उदासीन होता है |
इसका आसानी से अपघटन हो जाता है | इसका आसानी से अपघटन नहीं होता है |
यह ऊनी कपड़ों की सफाई अच्छी तरह नहीं करता है | यह ऊनी कपड़ों की सफाई अच्छी तरह करता है |
यह कठोर जल में झाग नहीं देता है | यह कठोर जल में बहुत अच्छी तरह जान देता है |
तो दोस्तों मुझे आशा है आप जान गए होंगे कि sabun aur apmarjak mein antar क्या अंतर होता है और मिसेल का निर्माण किस प्रकार होता है और यदि आपका साबुन और अपमार्जक में अंतर से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप मुझे कमेंट करके जरूर बताएं।
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